Highlights (मुख्य बिंदु):
- अवामी लीग कार्यकर्ताओं का ज़ोरदार प्रदर्शन, यूनुस के घर तक पहुंचा मार्च
- ढाका-11 से निकला जुलूस, सोशल मीडिया पर वीडियो हुआ वायरल
- यूनुस समर्थक छात्र नेता नई पार्टी बनाने के बाद रजिस्ट्रेशन से वंचित
- विरोध को माना जा रहा राजनीतिक चेतावनी और शक्ति प्रदर्शन
- सरकार की चुप्पी पर विपक्ष ने उठाए सवाल
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**बांग्लादेश में अवामी लीग के कार्यकर्ताओं ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक ताकत का खुला प्रदर्शन किया है। इस बार विरोध मार्च की सीधी गूंज नोबेल पुरस्कार विजेता और अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस के घर तक पहुंची। ढाका-11 संसदीय क्षेत्र से शुरू हुआ यह जुलूस न सिर्फ सोशल मीडिया पर छाया रहा बल्कि राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा गया।

इस विरोध मार्च का नेतृत्व ढाका-11 क्षेत्र और ढाका नॉर्थ सिटी अवामी लीग के नेताओं ने किया। बड्डा, भातार और रामपुरा जैसे इलाकों के कार्यकर्ताओं की भारी भागीदारी रही, जिसमें जोरदार नारेबाजी और तेज़ चाल से निकाला गया मार्च यूनुस के आवास के सामने से गुज़रा।
इस प्रदर्शन को जानबूझकर यूनुस के खिलाफ एक राजनीतिक संदेश माना जा रहा है। मार्च का वीडियो छात्र लीग के पूर्व महासचिव गोलाम रब्बानी द्वारा सोशल मीडिया पर साझा किया गया, जो कि अब एक प्रतिबंधित संगठन से जुड़े रहे हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि यह सब एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य विपक्षी ताकतों को डराना और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चेतावनी देना हो सकता है।
हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब अवामी लीग ने ऐसा मार्च निकाला हो। इससे पहले 6 अप्रैल को भी बैतुल मुकर्रम से बंगबंधु एवेन्यू तक एक तेज़ रफ्तार मार्च किया गया था।
इस पूरे घटनाक्रम में बांग्लादेश सरकार की मौन भूमिका ने विपक्ष को हमला करने का नया मौका दे दिया है। वहीं यूनुस के समर्थक छात्र नेता जो कभी उनके समर्थन से सत्ता तक पहुंचे, अब नई पार्टी बनाकर अलग हो चुके हैं, लेकिन उन्हें पार्टी रजिस्ट्रेशन तक की अनुमति नहीं दी जा रही।
इन घटनाओं ने बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति को और अस्थिर कर दिया है। आगे देखना होगा कि देश की राजनीति किस दिशा में जाती है – लोकतंत्र की ओर या सत्ता के दबाव की ओर।
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