गाजा में बड़ा मानवीय संकट: 48 घंटे में 14,000 बच्चों की मौत का खतरा, UN की चेतावनी
इजरायल की नाकेबंदी से हालात बदतर, सिर्फ 5 ट्रक पहुंचे गाजा में, भोजन-दवाओं की भारी कमी
- UN ने चेतावनी दी: अगले 48 घंटे में 14,000 नवजात बच्चों की जान खतरे में
- इजरायल की 11 हफ्तों से जारी नाकेबंदी बनी संकट की सबसे बड़ी वजह
- सिर्फ 5 ट्रक मदद लेकर गाजा में पहुंचे, जरूरत है 600 ट्रक रोजाना
- 20 लाख से ज्यादा लोग पूरी तरह मानवीय सहायता पर निर्भर
- नेतन्याहू सरकार की मंशा पर सवाल, ‘जनसंहार जैसी रणनीति’ का आरोप
नई दिल्ली/गाजा:
गाजा पट्टी एक बार फिर मानवता की सबसे बड़ी परीक्षा बन गई है। संयुक्त राष्ट्र (UN) ने चेतावनी दी है कि अगर अगले 48 घंटों के भीतर पर्याप्त मानवीय मदद नहीं पहुंचाई गई, तो 14,000 नवजात बच्चों की मौत हो सकती है।
इजरायल की 11 सप्ताह से जारी कड़ी नाकेबंदी ने गाजा को खाने, पीने और दवाओं के लिए पूरी तरह से तरसने पर मजबूर कर दिया है।
UN मानवीय प्रमुख टॉम फ्लेचर ने BBC को बताया कि इजरायल द्वारा दी गई राहत समंदर में एक बूंद जैसी है। अब तक सिर्फ 5 ट्रक गाजा में घुस पाए हैं, जबकि पहले 600 ट्रक प्रतिदिन जाया करते थे।
इन ट्रकों में शिशु आहार, दवाइयां और पोषण सामग्री है, लेकिन बंटवारे का कोई ढांचा नहीं है, जिससे ये सामान आम नागरिकों तक नहीं पहुंच सका है।
भुखमरी और महामारी का खतरा
गाजा की 20 लाख से अधिक आबादी अब पूरी तरह मानवीय मदद पर निर्भर हो चुकी है।
- 4.5 लाख लोग भुखमरी के कगार पर
- 1 मिलियन लोग भोजन के लिए संघर्षरत
- 9,000 से ज्यादा बच्चों का कुपोषण के लिए इलाज
- हजारों गर्भवती महिलाएं भी कुपोषण का शिकार

हर दिन लोग एक कटोरी सूप के लिए घंटों लाइन में लगते हैं, लेकिन अधिकतर को खाली हाथ लौटना पड़ता है।
इजरायल पर वैश्विक दबाव
इजरायल का कहना है कि यह कदम हमास पर दबाव बनाने के लिए उठाया गया है, लेकिन अब तक 53,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
UN का कहना है कि उन्होंने ऐसी प्रणाली लागू की है जिससे मदद हमास तक न पहुंचे, इसके बावजूद इजरायल का संदेह और नियंत्रण की जिद सारी मदद रोक रही है।
‘गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन’ पर विवाद
अमेरिका समर्थित ‘गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन’ की योजना चार सहायता केंद्र बनाने की है, लेकिन UN और कई NGO ने इसका बहिष्कार किया है। उनका कहना है कि यह योजना लोगों को जबरन विस्थापित करने का तरीका बन सकती है।
नेतन्याहू की नीति पर सवाल
प्रधानमंत्री नेतन्याहू का कहना है कि जब तक सभी बंधक रिहा नहीं होते और हमास का खात्मा नहीं होता, युद्ध जारी रहेगा। उन्होंने ‘स्वैच्छिक पलायन’ की बात कही है, जिसे मानवाधिकार संगठनों ने जनसंहार जैसा करार दिया है।
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