पहलगाम आतंकी हमले की जांच में एनआईए (NIA) को मिले अहम सुरागों ने घाटी में सक्रिय अलगाववादी संगठनों और आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश कर दिया है। जांच एजेंसी को 3 सैटेलाइट फोन, 3 टारगेटेड घाटियों और 20 ओवरग्राउंड वर्करों (OGW) से जुड़ी जानकारियां मिली हैं। इतना ही नहीं, जांच में यह भी पता चला कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और जमात-ए-इस्लामी जैसे प्रतिबंधित संगठनों ने आतंकियों को रेकी करने और हमले की योजना में मदद की।

मुख्य खुलासे:
बैसरन, आरु और बेताब घाटी आतंकियों के निशाने पर थीं, लेकिन सुरक्षा कड़ी होने से बच गईं।
3 सैटेलाइट फोन में से 2 के सिग्नल ट्रेस कर चुकी है एजेंसी।
जम्मू-कश्मीर में 100 से अधिक ठिकानों पर रेड हुई, जिसमें कई आपत्तिजनक सबूत बरामद हुए।
20 ओवरग्राउंड वर्कर गिरफ्तार, जिनमें 4 ने आतंकियों की रेकी में मदद की।
हंदवाड़ा, अनंतनाग, पुलवामा, त्राल, कुपवाड़ा जैसे इलाकों में सक्रिय ऑपरेटिव्स पर शिकंजा कसा।
एनआईए को मिले सबूतों से ये साफ हो गया है कि हुर्रियत और जमात-ए-इस्लामी ने प्रतिबंध के बावजूद आतंकी गतिविधियों को समर्थन देना जारी रखा। हंदवाड़ा में 10 से ज्यादा ऐसे ठिकानों पर रेड हुई जहां से देश विरोधी सामग्री बरामद की गई।
NIA की रिपोर्ट के अनुसार आतंकियों ने 15 अप्रैल को ही पहलगाम में एंट्री कर ली थी और हमले से दो दिन पहले बैसरन घाटी में उनकी मौजूदगी पाई गई। ओवरग्राउंड वर्करों की पूछताछ में ये बातें सामने आईं।
हुर्रियत के पूर्व सदस्य ने News18 से बातचीत में बताया कि इन संगठनों का मकसद युवाओं को भड़काकर पत्थरबाजी और आतंकवाद की राह पर ले जाना था। उन्होंने स्वीकार किया कि हुर्रियत की विचारधारा देश के खिलाफ है और उन्होंने इससे खुद को अलग कर लिया।
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