Highlights:
- मुर्शिदाबाद में वक्फ संशोधन एक्ट को लेकर हुई हिंसा में तीन लोगों की मौत
- हिंसा के बाद कई लोगों ने क्षेत्र से पलायन किया
- टीएमसी सरकार की किरकिरी, विपक्ष ने ममता बनर्जी पर साधा निशाना
- सांसद यूसुफ पठान की क्षेत्र में गैरमौजूदगी पर उठे सवाल
- टीएमसी के अंदर भी यूसुफ पठान की आलोचना, सहयोगी सांसदों ने जताई नाराजगी
Rewritten News Article:
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन एक्ट को लेकर हुई हिंसा ने सियासी हलचल तेज कर दी है। इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई और इसके बाद इलाके से लोगों का पलायन शुरू हो गया। इस घटना से राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) की छवि को नुकसान पहुंचा है।
जहां विपक्षी दल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोल रहे हैं, वहीं पार्टी के भीतर ही सांसद यूसुफ पठान की जमीन पर अनुपस्थिति को लेकर विरोध के सुर उठने लगे हैं। क्रिकेटर से नेता बने यूसुफ पठान की इस संवेदनशील समय में क्षेत्र से दूरी पर न केवल विपक्षी दल बल्कि पार्टी के सहयोगी सांसद भी सवाल उठा रहे हैं।

बहरामपुर से सांसद यूसुफ पठान का क्षेत्र भले ही हिंसा प्रभावित स्थान न हो, लेकिन यह जिला मुर्शिदाबाद का ही हिस्सा है, जहां जंगीपुर और मुर्शिदाबाद लोकसभा क्षेत्र भी आते हैं। इन तीनों क्षेत्रों से टीएमसी सांसद चुने गए हैं – खलीलुर रहमान, अबू ताहिर खान और यूसुफ पठान।
अबू ताहिर खान ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यूसुफ पठान की जमीन पर गैरमौजूदगी से जनता और कार्यकर्ताओं के बीच गलत संदेश गया है। उन्होंने कहा, “राजनीति में नए होने के बावजूद, ऐसे समय में दूरी बनाए रखना उचित नहीं है। हम बाकी सांसद और कार्यकर्ता लोगों के बीच हैं, मदद कर रहे हैं।”
उन्होंने बताया कि पार्टी की ओर से शांति वार्ता आयोजित की गई थी जिसमें वे स्वयं और खलीलुर रहमान मौजूद थे, लेकिन यूसुफ पठान वहां नहीं पहुंचे।
इसी बीच यूसुफ पठान की एक इंस्टाग्राम पोस्ट, जिसमें वह चाय पीते नजर आ रहे थे, ने और भी आलोचना को जन्म दिया। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस पोस्ट को लेकर उन पर हमला बोला और उन्हें संवेदनहीन बताया।
टीएमसी के अन्य नेता भी पठान के संकट के समय निष्क्रिय रहने से असहज दिखे। पार्टी के भीतर इस मुद्दे पर चर्चाएं तेज हैं कि क्या पठान जमीन पर सक्रिय नहीं रहकर पार्टी के लिए राजनीतिक नुकसान का कारण बन सकते हैं।
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