
Highlights:
- ईडी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर चार्जशीट दाखिल की है।
- नेशनल हेराल्ड केस में 988 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप।
- ओ. एम. मथाई की किताब में नेहरू-सरदार पत्राचार का खुलासा।
- सरदार पटेल ने 1950 में नेहरू को पत्र लिखकर दी थी चेतावनी।
- 5,000 करोड़ की संपत्तियों के दुरुपयोग का आरोप यंग इंडिया पर।

Rewritten Article (for BetulHub):
अगर नेहरू मान जाते पटेल की बात, तो आज नहीं फंसते सोनिया-राहुल – जानिए 75 साल पुरानी कहानी
नेशनल हेराल्ड केस में ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाते हुए चार्जशीट दाखिल कर दी है। साथ ही सैम पित्रोदा और सुमन दुबे जैसे नाम भी इस केस में शामिल हैं। इस पूरे विवाद की जड़ें आज से 75 साल पहले की एक कहानी से जुड़ी हैं, जहां सरदार वल्लभभाई पटेल ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को पत्र लिखकर नेशनल हेराल्ड से जुड़े आर्थिक अनियमितताओं को लेकर आगाह किया था।
क्या है नेशनल हेराल्ड केस?
1937 में स्थापित एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) ने 1938 में नेशनल हेराल्ड अखबार शुरू किया। इस समूह के तहत ‘नवजीवन’ (हिंदी), ‘कौमी आवाज’ (उर्दू) भी प्रकाशित होते थे। आज ये वही संगठन है, जिसे लेकर ईडी ने सोनिया-राहुल पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया है।
यह अखबार लंबे समय तक पंडित नेहरू के प्रभाव में माना जाता था। स्वतंत्रता के बाद जब नेहरू प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने बोर्ड चेयरमैन का पद छोड़ दिया, लेकिन नियंत्रण परिवार में ही रहा।
ओ. एम. मथाई का खुलासा
नेहरू के निजी सचिव रहे ओ. एम. मथाई ने अपनी किताब में लिखा कि बड़ौदा के महाराजा से रिश्वत मांगने की शिकायत सरदार पटेल तक पहुंची थी। उन्होंने इस बारे में नेहरू को चेतावनी दी थी। 1950 में पटेल ने साफ कहा था कि सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग हो रहा है और नेशनल हेराल्ड संदिग्ध लोगों से फंडिंग ले रहा है।
सरदार पटेल की सख्त चेतावनी
5 मई 1950 को लिखे पत्र में सरदार पटेल ने बताया कि नेशनल हेराल्ड ने हिमालयन एयरवेज से जुड़े लोगों से 75,000 रुपए लिए हैं, जो वायुसेना की आपत्तियों को नजरअंदाज करके सरकारी अनुबंध हासिल करने में लगे थे। उन्होंने जेपी श्रीवास्तव, अहमद किदवई और अखानी जैसे कारोबारियों की संदिग्ध भूमिका का भी जिक्र किया।
नेहरू का जवाब और पटेल की प्रतिक्रिया
नेहरू ने पटेल को शांत करने की कोशिश की और कहा कि वो इस मामले की जांच करवाएंगे। लेकिन 6 मई और फिर 10 मई को सरदार पटेल ने अपने पत्रों में नाराजगी जाहिर करते हुए इसे गंभीर नैतिक संकट बताया।
बीजेपी का हमला
बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस ने इस संस्था को बचाने की बजाय बंद करने दिया। वर्ष 2008 में यह अखबार बंद हो गया। उनका कहना है कि 90 करोड़ की देनदारी में हजारों करोड़ की संपत्ति ट्रांसफर कर दी गई, जिससे अब यह मामला एक बड़े घोटाले में बदल गया है।

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