
दमोह के अस्पताल में बड़ा खुलासा: फर्जी डॉक्टर बना 7 मौतों की वजह, पूर्व विधानसभा स्पीकर की मौत से भी जुड़ा नाम
दमोह, मध्यप्रदेश: दमोह जिले के एक मिशनरी अस्पताल में इलाज के दौरान सात मरीजों की मौत के बाद बड़ा खुलासा हुआ है। जांच में पता चला कि ऑपरेशन करने वाला डॉक्टर असली था ही नहीं। खुद को ब्रिटिश कार्डियोलॉजिस्ट ‘डॉ. एन जॉन केम’ बताने वाला शख्स असल में नरेंद्र विक्रमादित्य यादव निकला, जो फर्जी डिग्री, फर्जी पहचान और नकली दस्तावेजों के दम पर डॉक्टर बन बैठा था।

ऐसे फूटा फर्जीवाड़े का भांडा:
कुछ मरीजों के परिजनों ने डॉक्टर को ऑपरेशन से पहले नर्वस देखा, जिससे शक गहराया। जब जांच शुरू हुई तो अस्पताल के दस्तावेजों और आरोपी के मोबाइल में फोटोशॉप, फर्जी डॉक्यूमेंट्स ऐप्स मिले। पूछताछ में आरोपी ने कबूल किया कि उसने पश्चिम बंगाल से फर्जी MBBS और पुडुचेरी से नकली MD की डिग्री बनाई।
नाम बदलकर बना “डॉ. एन जॉन केम”:
नरेंद्र ने 1999 में अपना नाम बदलने की कोशिश की थी। उसने ब्रिटेन जाकर एक कोर्स किया, लेकिन भारत में प्रैक्टिस की अनुमति नहीं मिली। तब उसने फर्जी डिग्रियों का सहारा लिया और पहचान बदल डाली। उसका मकसद था भारतीयों के बीच सम्मान और नौकरी के बेहतर मौके पाना।
पूर्व विधानसभा स्पीकर की मौत में भी संदेह:
2006 में छत्तीसगढ़ के पहले विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ला का बिलासपुर में इलाज इसी डॉक्टर ने किया था। सर्जरी के बाद शुक्ला कोमा में चले गए और 18 दिनों के बाद उनकी मौत हो गई। अब उनके परिवार ने जिला प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है।
सोशल मीडिया से बनी पहचान:
आरोपी ने ‘एन जॉन केम’ नाम से Twitter (X) पर एक अकाउंट बना लिया था। उसके एक पोस्ट को यूपी के मुख्यमंत्री ने रीट्वीट किया था, जिसके बाद वो चर्चा में आया।
पहले भी हो चुकी है गिरफ्तारी:
2019 में चेन्नई के पास आरोपी को गिरफ्तार किया गया था, जहां उस पर एक अस्पताल के 100 से ज्यादा कर्मचारियों का वेतन रोकने का आरोप था। एक महिला को उसने अपनी पत्नी बताया, जो अब UK में फरार है।
जांच अधिकारी श्रुत कीर्ति सोमवंशी ने बताया कि आरोपी के खिलाफ हैदराबाद और नोएडा में भी आपराधिक केस दर्ज हैं। भारतीय चिकित्सा संघ ने भी उस पर प्रतिबंध लगा रखा था।
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