
भारत-अमेरिका टैरिफ़ विवाद: भारत की चुप्पी पर उठ रहे सवाल, लेकिन है इसके पीछे ठोस रणनीति
हाइलाइट शब्द: टैरिफ़, अमेरिका, नरेंद्र मोदी, व्यापार समझौता, जवाबी कार्रवाई
नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 26% रेसिप्रोकल टैरिफ़ लगाने की घोषणा के बाद जहां चीन और अन्य देशों ने जवाबी कार्रवाई की है, वहीं भारत सरकार अब तक शांत दिखाई दे रही है। यह चुप्पी कुछ सवाल खड़े कर रही है – क्या भारत जवाब नहीं देगा या रणनीति के तहत यह कदम उठाया जा रहा है?
भारत की प्रतिक्रिया अब तक क्या रही?
भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ़ का आकलन किया जा रहा है और सभी प्रभावित पक्षों से सलाह ली जा रही है। मंत्रालय का कहना है कि “इससे पैदा हुए अवसरों का भी अध्ययन किया जा रहा है।”
चीन ने दिया जवाब, भारत क्यों नहीं?
जहां चीन ने अमेरिका पर 34% टैरिफ़ लगा दिया है और अमेरिका ने फिर से 50% तक बढ़ाने की धमकी दी है, वहीं भारत अभी भी जवाबी कार्रवाई से बच रहा है।

जानकारों के अनुसार भारत की चुप्पी के 3 बड़े कारण:
- द्विपक्षीय बातचीत जारी है – भारत और अमेरिका के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत चल रही है, जिसका पहला चरण अगस्त-अक्टूबर के बीच पूरा होगा। सरकार चाहती है कि बातचीत से ही समाधान निकले।
- टैरिफ़ अमेरिका के लिए भी हानिकारक – अमेरिकी कंपनियों और उपभोक्ताओं पर इसका नकारात्मक असर पड़ रहा है, जिससे अमेरिका में बनी चीज़ें महंगी हो जाएंगी। सरकार को उम्मीद है कि ये टैरिफ़ ज्यादा दिन नहीं टिकेंगे।
- इतिहास भी यही बताता है – 2018 में भी अमेरिका ने स्टील और एल्यूमिनियम पर टैरिफ़ लगाया था, तब भी भारत ने देरी से लेकिन सोच-समझकर प्रतिक्रिया दी थी।
जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री की बैठक
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो से बातचीत के बाद कहा कि द्विपक्षीय व्यापार समझौते को शीघ्र पूरा करने पर सहमति बनी है।
भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंध
भारत अमेरिका को दवाइयाँ, ऑटो पार्ट्स और कपड़े निर्यात करता है, जबकि कच्चा तेल, सैन्य उपकरण और एलएनजी अमेरिका से खरीदता है।
2023 में दोनों देशों के बीच 190 अरब डॉलर का व्यापार हुआ, जिसमें भारत का व्यापार अधिशेष 43.65 अरब डॉलर रहा।
ट्रंप की घोषणा के बाद वैश्विक प्रतिक्रियाएँ
50 से ज़्यादा देशों ने अमेरिका से बातचीत शुरू की है। वियतनाम, ताइवान और इसराइल जैसे देशों ने भी जवाबी टैरिफ़ की जगह बातचीत का रास्ता चुना है।
निष्कर्ष:
भारत की चुप्पी किसी कमजोरी का संकेत नहीं, बल्कि रणनीतिक चुप्पी है। मोदी सरकार का लक्ष्य है द्विपक्षीय समझौते से व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुँचाना, और शायद इसीलिए जल्दबाज़ी से बचा जा रहा है।
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